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दुर्गुणों के हमले में होश ही हमारा हथियार है

युद्ध का नियम है कि जितना शत्रु को समझ सको समझ लो, बिना समझे आक्रमण मत करना, लेकिन शत्रु से ज्यादा समझ अपने शस्त्र कि रखना. जीवन में सबसे बड़ा और खतरनाक आक्रमण दुर्गुणों का है. इसके पास वासना जैसे शुक्ष्म हथियार होते है और भी कई शक्लों में अस्त्र-शस्त्र है दुर्गुणों के पास, लेकिन मनुष्य के पास इस आक्रमणसे अपनी सुरक्षा के लिए एक ही हथियार है और उसे कहा गया बुद्धि, भक्ति, प्रज्ञा या सामान्य भाषा में होश का हथियार. दुर्गुणों के हमले में आपका होश ही आपका हथियार है. दुर्गुणों के आक्रमण में भागना नहीं चाहिए. जीवन में काम, क्रोध, लोभ, अहंकार आएंगे ही सही, इनके दमन के चक्कर में मत पड़िए. आप जितना दबायेंगे, ये उतनी ही तेजी से आपको पलटकर धक्का देंगे. सीधा आमना-सामना परेशानी बड़ा देगा. इनसे सीधे मत लड़िये, बस इन पर ध्यान दीजिये. होश यानि आपका जग जाना और दुर्गुणों के मच्छर मूर्छा तथा निद्रा के जल में पनपते है, सुरक्षित रहते है. आप जागे, तो इन्हें जाना ही पड़ेगा, बिल्कुल ऐसे जैसे प्रकाश आने पर अंधकार को प्रस्थान करना ही पड़ता है. रोशनी, अँधेरे को खा जाती है. होश दुर्गुणों को पचा जाता है. होश कि अपनी ऐसी गर्माहट होती है जिसमे वासना कि बर्फ पिघल जाती है. यहाँ दुर्गुणों के सामने 'भागना मत' बड़ी महत्वपूर्ण बात है, वैसे ही रुक जाना.जैसे अर्जुन को श्री कृष्णा ने रोका था कुरुक्षेत्र में. श्रीकृष्णा आज भी हमारे साथ है, बस हमें अर्जुन बनने कि तैयारी रखनी है. श्रीकृष्णा हमेशा कहते थे इसकी शुरुआत तब ही होगी, जब आप जरा मुस्कुरायेंगे.......राधे-राधे !! जय श्रीकृष्ण !!

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