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परिस्थिति कैसी भी हो उसका सदुपयोग करें

असली नायक वही होगा जो समय का सदुपयोग करेगा. महाभारत युद्ध के असली नायक श्रीकृष्ण ही थे. उन्होंने गीता सुनाकर अपने ज्ञान का परिचय दिया और साबित किया की बिना ज्ञान के नायक नहीं बना जा सकता है. उन्होंने बताया की उनका ज्ञान गीता का ज्ञान है, सम्पूर्ण जीवन के लिए खरा ज्ञान है. पुरे युद्ध की योजना, क्रियान्वयन और परिणाम में गीता ही अपनाई गई. अर्जुन को निमित्त बनाकर श्रीकृष्ण ने पुरे मानव समाज के कल्याण की बात कही. गीता में यह व्यक्त हुआ है की कैसी भी परिस्थिति आये, उसका सदुपयोग करना है. १८ अध्याय में श्रीकृष्ण ने जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी सिद्धांतो की व्याख्या की है. युद्ध के मैदान से गीता ने निष्काम कर्मयोग का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत दिया है की "कर्म करो फल की चिंता ना करो" यही निष्काम कर्म है. यदि निष्कामता है तो सफल होने पर अहंकार नहीं आयेगा और असफल होने पर अवसाद(दुःख) नहीं होगा. निष्कामता का अर्थ है कर्म करते वक्त कर्ताभाव का अभाव. महाभारत में गीता की अपनी अलग चमक है. इसी प्रकार जीवन में 'ज्ञान' का अपना एक अलग महत्व है. श्रीकृष्ण ने पांडवों की हर संकट से रक्षा की और अपने ज्ञान के बल पर सत्य की विजय के पक्ष में अपनी भूमिका निभाई. कौरवों के पक्ष में एक से बढ़कर एक योद्धा और पराक्रमी थे जिसमे भीष्म सर्वश्रेष्ठ थे. कर्ण हो या द्रोण, इस बात के प्रति नतमस्तक थे की श्रीकृष्ण के ज्ञान के आगे वे कुछ भी नहीं है. युद्ध में शस्त्र ना उठाने का निर्णय श्रीकृष्ण ले ही चुके थे, अतः वीरता का प्रदर्शन का तो कोई अवसर था ही नहीं. ऐसे में श्रीकृष्ण का सारा पराक्रम उनके ज्ञान पर ही आधारित था और सबने उनके इसी बुद्धि-कौशल का लोहा माना. 'गीता' इसी का प्रमाण है. इसीलिए तो जरा मुस्कुराइए ...................राधे-राधे. !! जय श्रीकृष्ण !!

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