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बुराई को पहचान कर उसे दूर करने के प्रयास करें


यदि ध्येय मिलने या सफलता प्राप्त हो जाने पर भी किसी को शांति ना मिले तो समझ ले कि रास्ता गलत चुन लिया गया है. गलतियाँ और बुराई किसमे नहीं होती है. यदि हम इनसे लड़ेंगे तो परिणाम उल्टे ही आयेंगे. हम जो भी काम करेंगे, उसमे अशांति हाथ लगेगी. यदि हमारे अन्दर क्रोध जैसी बुराई तो क्रोध को दबाने का प्रयास नहीं करें. कोशिश करें कि क्रोध चला जाये. उसे दबाने में नहीं, उसके जाने में शांति है. जैसे हिंसा का आभाव अहिंसा है. लोग गलत समझते है कि हिंसा का उल्टा अहिंसा है. हम यदि घृणा को दबाकर प्रेम लाने का प्रयास करेंगे जैसा कि ज्यादातर लोग करते है तो प्रेम सच्चा नहीं होगा. सच तो यह है कि घृणा का आभाव ही प्रेम है. अध्यात्म कहता है कि पहले अपनी बुराई को पहचाने, सीधे उससे लड़ने ना लग जायें. हम अपनी बुराई को जितना जानेंगे, पहचानेंगे बुराई उतनी ही कम होने लगेगी, विदा हो जायेगी. इस क्रिया का नाम संयम होता है. जब हम संयमित होंगे,तब हम पायेंगे कि कार्य के बाद सफलता के पश्चात् हम अशांत नहीं रहेंगे,हमे परम शांति का अनुभव होगा.........राधे-राधे

!! जय श्रीकृष्ण !!

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