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गीता अध्याय क्रमांक 9 से 12


01-07  भगवान की विभूति और योगशक्ति का कथन तथा उनके जानने का फल
08-11  फल और प्रभाव सहित भक्तियोग का कथन
12-18  अर्जुन द्वारा भगवान की स्तुति तथा विभूति और योगशक्ति को कहने के लिए प्रार्थना
19-42  भगवान द्वारा अपनी विभूतियों और योगशक्ति का कथन


01-04  विश्वरूप के दर्शन हेतु अर्जुन की प्रार्थना
05-08  भगवान द्वारा अपने विश्व रूप का वर्णन
09-14  संजय द्वारा धृतराष्ट्र के प्रति विश्वरूप का वर्णन
15-31  अर्जुन द्वारा भगवान के विश्वरूप का देखा जाना और उनकी स्तुति करना
32-34  भगवान द्वारा अपने प्रभाव का वर्णन और अर्जुन को युद्ध के लिए उत्साहित करना
35-46  भयभीत हुए अर्जुन द्वारा भगवान की स्तुति और चतुर्भुज रूप का दर्शन कराने के लिए प्रार्थना
47-50  भगवान द्वारा अपने विश्वरूप के दर्शन की महिमा का कथन तथा चतुर्भुज और सौम्य रूप का दिखाया जाना
51-55  बिना अनन्य भक्ति के चतुर्भुज रूप के दर्शन की दुर्लभता का और फलसहित अनन्य भक्ति का कथन।


01-12  साकार और निराकार के उपासकों की उत्तमता का निर्णय और भगवत्प्राप्ति के उपाय का विषय
13-20  भगवत्‌-प्राप्त पुरुषों के लक्षण
 

01-18  ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय
19-34  ज्ञानसहित प्रकृति-पुरुष का विषय


01-04  ज्ञान की महिमा और प्रकृति-पुरुष से जगत्‌ की उत्पत्ति
05-18  सत्‌, रज, तम- तीनों गुणों का विषय
19-27  भगवत्प्राप्ति का उपाय और गुणातीत पुरुष के लक्षण


01-06  संसार वृक्ष का कथन और भगवत्प्राप्ति का उपाय
07-11  जीवात्मा का विषय
12-15  प्रभाव सहित परमेश्वर के स्वरूप का विषय
16-20  क्षर, अक्षर, पुरुषोत्तम का विषय


01-05  फलसहित दैवी और आसुरी संपदा का कथन
06-20  आसुरी संपदा वालों के लक्षण और उनकी अधोगति का कथन
21-24  शास्त्रविपरीत आचरणों को त्यागने और शास्त्रानुकूल आचरणों के लिए प्रेरणा


01-06  श्रद्धा और शास्त्रविपरीत घोर तप करने वालों का विषय
07-22  आहार, यज्ञ, तप और दान के पृथक-पृथक भेद
23-28  ॐतत्सत्‌ के प्रयोग की व्याख्या


01-12  त्याग का विषय
13-18  कर्मों के होने में सांख्यसिद्धांत का कथन
19-40  तीनों गुणों के अनुसार ज्ञान, कर्म, कर्ता, बुद्धि, धृति और सुख के पृथक-पृथक भेद
41-48  फल सहित वर्ण धर्म का विषय
49-55  ज्ञाननिष्ठा का विषय
56-66  भक्ति सहित कर्मयोग का विषय
67-78  श्री गीताजी का माहात्म्य

 ||  गीता अध्याय क्रमांक 1 से 9  ||  || गीता अध्याय क्रमांक 9 से 18  ||


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