Welcome !
गीता प्रसार पर आपका सादर अभिनन्दन है |
इस अभियान में जुडकर आप भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचने में हमारी मदद कर सकते हैं | इस अभियान से जुड़ने हेतु यहाँ क्लिक करिए ।
Cross Browser Support
इस अभियान से जुड़ने हेतु यहाँ क्लिक करिए
This is an example of a large container with 5 columns
हिन्दू धर्म ग्रंथ श्रीमदभगवद्गीता में ईश्वर के विराट स्वरूप का वर्णन है। महाप्रतापी अर्जुन को इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कराकर कर्मयोगी भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग के महामंत्र द्वारा अर्जुन के साथ संसार के लिए भी सफल जीवन का रहस्य उजागर किया।
गीताजी का पाठ आरंभ करने की विधि
अथ ध्यानम्
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्यनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।
श्रीमद भगवद गीता का माहात्म्यं
गीता अध्याय
श्रीमद भगवद गीता ऑडियो विडियो
Here is some content with side images
अध्याय १ का माहात्म्य - श्री पार्वती जी ने कहाः भगवन् ! आप सब तत्त्वों के ज्ञाता हैं, आपकी कृपा से मुझे श्रीविष्णु-सम्बन्धी नाना प्रकार के धर्म सुनने को मिले, जो समस्त लोक का उद्धार करने वाले हैं, देवादिदेव ! अब मैं गीता का माहात्म्य सुनना चाहती हूँ, जिसका श्रवण करने से श्री हरि की भक्ति बढ़ती है।और अधिक पढ़ें...
गीता अध्याय- अर्जुनविषादयोग- नामक पहला अध्याय
धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥ (१)
भावार्थ : धृतराष्ट्र ने कहा - हे संजय! धर्म-भूमि और कर्म-भूमि में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे पुत्रों और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया? (१)और अधिक पढ़ें...
श्रीमद भगवद गीता का माहात्म्यं श्री वाराह पुराणे में गीता का माहात्म्यं बताते हुए श्री विष्णु जी कहते हैं : श्रीविष्णुरुवाच: प्रारब्ध को भोगता हुआ जो मनुष्य 'सदा' श्रीगीता के अभ्यास में आसक्त हो वही इस लोक में मुक्त 'और' सुखी होता है 'तथा' कर्म में लेपायमान 'नहीं' होता |(2)
This is a heading title
सत्संग
लेख
मन्त्र संग्रह
Lists in Boxes
Here are some image examples
राहु अष्टोत्तरशतनामावलिः
ॐ भ्राँ भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः ||
ॐ राहवे नमः ||
ॐ सैंहिकेयाय नमः ||
ॐ विधुन्तुदाय नमः ||
ॐ सुरशत्रवे नमः ||
ॐ तमसे नमः ||
ॐ फणिने नमः ||
ॐ गार्ग्यनयाय नमः ||
ॐ सुरापिने नमः ||
ॐ नीलजीमूतसंकाशाय नमः ||
ॐ चतुर्भुजाय नमः ||१०
ॐ खङ्गखेटकधारिणे नमः ||
ॐ वरदायकहस्तकाय नमः ||
ॐ शूलायुधाय नमः ||
ॐ मेघवर्णाय नमः ||
ॐ कृष्णध्वजपताकावते नमः ||
ॐ दक्षिणाशामुखरथाय नमः ||
ॐ तीक्ष्णदंष्ट्रकरालकाय नमः ||
ॐ शूर्पाकारसंस्थाय नमः ||
ॐ गोमेदाभरणप्रियाय नमः ||
ॐ माषप्रियाय नमः ||२०
ॐ कश्यपर्षिनन्दनाय नमः ||
ॐ भुजगेश्वराय नमः ||
ॐ उल्कापातयित्रे नमः ||
ॐ शूलिने नमः ||
ॐ निधिपाय नमः ||
ॐ कृष्णसर्पराजे नमः ||
ॐ विषज्वलावृतास्याय अर्धशरीराय नमः ||
ॐ शात्रवप्रदाय नमः ||
ॐ रवीन्दुभीकराय नमः ||
ॐ छायास्वरूपिणे नमः ||३०
ॐ कठिनाङ्गकाय नमः ||
ॐ द्विषच्चक्रच्छेदकाय नमः ||
ॐ करालास्याय नमः ||
ॐ भयंकराय नमः ||
ॐ क्रूरकर्मणे नमः ||
ॐ तमोरूपाय नमः ||
ॐ श्यामात्मने नमः ||
ॐ नीललोहिताय नमः ||
ॐ किरीटिणे नमः ||
ॐ नीलवसनाय नमः ||४०
ॐ शनिसमान्तवर्त्मगाय नमः ||
ॐ चाण्डालवर्णाय नमः ||
ॐ अश्व्यर्क्षभवाय नमः ||
ॐ मेषभवाय नमः ||
ॐ शनिवत्फलदाय नमः ||
ॐ शूराय नमः ||
ॐ अपसव्यगतये नमः ||
ॐ उपरागकराय नमः ||
ॐ सोमसूर्यच्छविविमर्दकाय नमः ||
ॐ नीलपुष्पविहाराय नमः ||५०
ॐ ग्रहश्रेष्ठाय नमः ||
ॐ अष्टमग्रहाय नमः ||
ॐ कबन्धमात्रदेहाय नमः ||
ॐ यातुधानकुलोद्भवाय नमः ||
ॐ गोविन्दवरपात्राय नमः ||
ॐ देवजातिप्रविष्टकाय नमः ||
ॐ क्रूराय नमः ||
ॐ घोराय नमः ||
ॐ शनेर्मित्राय नमः ||
ॐ शुक्रमित्राय नमः ||६०
ॐ अगोचराय नमः ||
ॐ माने गङ्गास्नानदात्रे नमः ||
ॐ स्वगृहे प्रबलाढ्यदाय नमः ||
ॐ सद्गृहेऽन्यबलधृते नमः ||
ॐ चतुर्थे मातृनाशकाय नमः ||
ॐ चन्द्रयुक्ते चण्डालजन्मसूचकाय नमः ||
ॐ सिंहजन्मने नमः ||
ॐ राज्यदात्रे नमः ||
ॐ महाकायाय नमः ||
ॐ जन्मकर्त्रे नमः ||७०
ॐ विधुरिपवे नमः ||
ॐ मादकज्ञानदाय नमः ||
ॐ जन्मकन्याराज्यदात्रे नमः ||
ॐ जन्महानिदाय नमः ||
ॐ नवमे पितृहन्त्रे नमः ||
ॐ पञ्चमे शोकदायकाय नमः ||
ॐ द्यूने कलत्रहन्त्रे नमः ||
ॐ सप्तमे कलहप्रदाय नमः ||
ॐ षष्ठे वित्तदात्रे नमः ||
ॐ चतुर्थे वैरदायकाय नमः ||८०
ॐ नवमे पापदात्रे नमः ||
ॐ दशमे शोकदायकाय नमः ||
ॐ आदौ यशः प्रदात्रे नमः ||
ॐ अन्ते वैरप्रदायकाय नमः ||
ॐ कालात्मने नमः ||
ॐ गोचराचाराय नमः ||
ॐ धने ककुत्प्रदाय नमः ||
ॐ पञ्चमे धिशणाशृङ्गदाय नमः ||
ॐ स्वर्भानवे नमः ||
ॐ बलिने नमः ||९०
ॐ महासौख्यप्रदायिने नमः ||
ॐ चन्द्रवैरिणे नमः ||
ॐ शाश्वताय नमः ||
ॐ सुरशत्रवे नमः ||
ॐ पापग्रहाय नमः ||
ॐ शाम्भवाय नमः ||
ॐ पूज्यकाय नमः ||
ॐ पाटीरपूरणाय नमः ||
ॐ पैठीनसकुलोद्भवाय नमः ||
ॐ भक्तरक्षाय नमः ||१००
ॐ राहुमूर्तये नमः ||
ॐ सर्वाभीष्टफलप्रदाय नमः ||
ॐ दीर्घाय नमः ||
ॐ कृष्णाय नमः ||
ॐ अतनवे नमः ||
ॐ विष्णुनेत्रारये नमः ||
ॐ देवाय नमः ||
ॐ दानवाय नमः ||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें