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हिन्दू धर्म ग्रंथ श्रीमदभगवद्गीता में ईश्वर के विराट स्वरूप का वर्णन है। महाप्रतापी अर्जुन को इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कराकर कर्मयोगी भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग के महामंत्र द्वारा अर्जुन के साथ संसार के लिए भी सफल जीवन का रहस्य उजागर किया।
गीताजी का पाठ आरंभ करने की विधि
अथ ध्यानम्
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्यनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।
श्रीमद भगवद गीता का माहात्म्यं
गीता अध्याय
श्रीमद भगवद गीता ऑडियो विडियो
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अध्याय १ का माहात्म्य - श्री पार्वती जी ने कहाः भगवन् ! आप सब तत्त्वों के ज्ञाता हैं, आपकी कृपा से मुझे श्रीविष्णु-सम्बन्धी नाना प्रकार के धर्म सुनने को मिले, जो समस्त लोक का उद्धार करने वाले हैं, देवादिदेव ! अब मैं गीता का माहात्म्य सुनना चाहती हूँ, जिसका श्रवण करने से श्री हरि की भक्ति बढ़ती है।और अधिक पढ़ें...
गीता अध्याय- अर्जुनविषादयोग- नामक पहला अध्याय
धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥ (१)
भावार्थ : धृतराष्ट्र ने कहा - हे संजय! धर्म-भूमि और कर्म-भूमि में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे पुत्रों और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया? (१)और अधिक पढ़ें...
श्रीमद भगवद गीता का माहात्म्यं श्री वाराह पुराणे में गीता का माहात्म्यं बताते हुए श्री विष्णु जी कहते हैं : श्रीविष्णुरुवाच: प्रारब्ध को भोगता हुआ जो मनुष्य 'सदा' श्रीगीता के अभ्यास में आसक्त हो वही इस लोक में मुक्त 'और' सुखी होता है 'तथा' कर्म में लेपायमान 'नहीं' होता |(2)
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सत्संग
लेख
मन्त्र संग्रह
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श्री सिद्धि विनायक नामावलि
ॐ विघ्नराजाय नमः |
ॐ गौरीपुत्राय नमः |
ॐ गणेश्वराय नमः |
ॐ स्कन्दाग्रजाय नमः |
ॐ अव्ययाय नमः |
ॐ पूताय नमः |
ॐ दक्षाध्यक्ष्याय नमः |
ॐ द्विजप्रियाय नमः |
ॐ अग्निगर्भच्छिदे नमः |
ॐ इंद्रश्रीप्रदाय नमः |
ॐ वाणीबलप्रदाय नमः |
ॐ सर्वसिद्धिप्रदायकाय नमः |
ॐ शर्वतनयाय नमः |
ॐ गौरीतनूजाय नमः |
ॐ शर्वरीप्रियाय नमः |
ॐ सर्वात्मकाय नमः |
ॐ सृष्टिकर्त्रे नमः |
ॐ देवानीकार्चिताय नमः |
ॐ शिवाय नमः |
ॐ शुद्धाय नमः |
ॐ बुद्धिप्रियाय नमः |
ॐ शांताय नमः |
ॐ ब्रह्मचारिणे नमः |
ॐ गजाननाय नमः |
ॐ द्वैमातुराय नमः |
ॐ मुनिस्तुत्याय नमः |
ॐ भक्त विघ्न विनाशनाय नमः |
ॐ एकदंताय नमः |
ॐ चतुर्बाहवे नमः |
ॐ शक्तिसंयुताय नमः |
ॐ चतुराय नमः |
ॐ लंबोदराय नमः |
ॐ शूर्पकर्णाय नमः |
ॐ हेरंबाय नमः |
ॐ ब्रह्मवित्तमाय नमः |
ॐ कालाय नमः |
ॐ ग्रहपतये नमः |
ॐ कामिने नमः |
ॐ सोमसूर्याग्निलोचनाय नमः |
ॐ पाशांकुशधराय नमः |
ॐ छन्दाय नमः |
ॐ गुणातीताय नमः |
ॐ निरंजनाय नमः |
ॐ अकल्मषाय नमः |
ॐ स्वयंसिद्धार्चितपदाय नमः |
ॐ बीजापूरकराय नमः |
ॐ अव्यक्ताय नमः |
ॐ गदिने नमः |
ॐ वरदाय नमः |
ॐ शाश्वताय नमः |
ॐ कृतिने नमः |
ॐ विद्वत्प्रियाय नमः |
ॐ वीतभयाय नमः |
ॐ चक्रिणे नमः |
ॐ इक्षुचापधृते नमः |
ॐ अब्जोत्पलकराय नमः |
ॐ श्रीधाय नमः |
ॐ श्रीहेतवे नमः |
ॐ स्तुतिहर्षताय नमः |
ॐ कलाद्भृते नमः |
ॐ जटिने नमः |
ॐ चन्द्रचूडाय नमः |
ॐ अमरेश्वराय नमः |
ॐ नागयज्ञोपवीतिने नमः |
ॐ श्रीकांताय नमः |
ॐ रामार्चितपदाय नमः |
ॐ वृतिने नमः |
ॐ स्थूलकांताय नमः |
ॐ त्रयीकर्त्रे नमः |
ॐ संघोषप्रियाय नमः |
ॐ पुरुषोत्तमाय नमः |
ॐ स्थूलतुण्डाय नमः |
ॐ अग्रजन्याय नमः |
ॐ ग्रामण्ये नमः |
ॐ गणपाय नमः |
ॐ स्थिराय नमः |
ॐ वृद्धिदाय नमः |
ॐ सुभगाय नमः |
ॐ शूराय नमः |
ॐ वागीशाय नमः |
ॐ सिद्धिदाय नमः |
ॐ दूर्वाबिल्वप्रियाय नमः |
ॐ कान्ताय नमः |
ॐ पापहारिणे नमः |
ॐ कृतागमाय नमः |
ॐ समाहिताय नमः |
ॐ वक्रतुण्डाय नमः |
ॐ श्रीप्रदाय नमः |
ॐ सौम्याय नमः |
ॐ भक्ताकांक्षितदाय नमः |
ॐ अच्युताय नमः |
ॐ केवलाय नमः |
ॐ सिद्धाय नमः |
ॐ सच्चिदानंदविग्रहाय नमः |
ॐ ज्ञानिने नमः |
ॐ मायायुक्ताय नमः |
ॐ दन्ताय नमः |
ॐ ब्रह्मिष्ठाय नमः |
ॐ भयावर्चिताय नमः |
ॐ प्रमत्तदैत्यभयदाय नमः |
ॐ व्यक्तमूर्तये नमः |
ॐ अमूर्तये नमः |
ॐ पार्वतीशंकरोत्संगखेलनोत्सवलालनाय नमः |
ॐ समस्तजगदाधाराय नमः |
ॐ वरमूषकवाहनाय नमः |
ॐ हृष्टस्तुताय नमः |
ॐ प्रसन्नात्मने नमः |
ॐ सर्वसिद्धिप्रदायकाय नमः |
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